Rajasthan Current Affairs

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Industrial Development in Rajasthan

Industrial Development in Rajasthan/राजस्थान में औद्योगिक विकास 

राजस्थान प्रचुर भौतिक संसाधनों, समृद्ध खनिज सम्पदा, विश्व प्रसिद्ध हस्तशिल्प, हथकरघा और उत्कृष्ट कौशल  सम्पन्न है। राज्य के पास MSME के लिए रत्न  आभूषण,हस्तशिल्प, खाद्य प्रसंस्करण, ऑटो कॉम्पोनेन्ट,वस्त्र,चमड़ा और आयामी पत्थरो के क्षेत्र में अत्यंत मजबूत आधार है। राज्य का प्रमुख उद्देश्य राज्य में MSME उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा देना और उन्हें प्रोत्साहित करना तथा अनुकूल परिवेश का निर्माण करना है।

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राजस्थान में उद्योग क्षेत्र- Economic Survey के आकंड़े-

उद्योग क्षेत्र के अंतर्गत खनन एवं उत्खनन, विनिर्माण, विद्युत, गैस, जलापूर्ति, एवं अन्य उपयोगी सेवाएं एवं निर्माण क्षेत्र शामिल है।

उद्योग क्षेत्र में वर्ष 2022-23 के लिए राज्य में स्थिर मूल्यों पर 6.32 % की एवं प्रचलित मूल्यों पर 15.02 % की वृद्धि हुई है।

Industrial Development in Rajasthan

राजस्थान के सकल राज्य मूल्य वर्द्धन (GSVA) में उद्योग क्षेत्र की हिस्सेदारी-

वित्तीय वर्ष 2022-23 में राजस्थान के सकल राज्य मूल्य वर्द्धन (GSVA) में उद्योग क्षेत्र का योगदान प्रचलित मूल्यों पर 27.31 % तथा स्थिर मूल्यों पर 27.76 % रहा है।

उद्योग क्षेत्र के उप-क्षेत्र एवं योगदान- (Economic Survey 2022-23)

  1. खनन- 12.60 %
  2. विनिर्माण- 41.26 %
  3. विद्युत, गैस ,जलापूर्ति, एवं अन्य उपयोगी सेवाएं- 13.38 %
  4. निर्माण- 32.76 %

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औद्योगिक उत्पादन सूचकांक(Index of Industrial Production)- IIP एक निश्चित अवधि के दौरान चयनित आधार वर्ष पर औद्योगिक उत्पादों के उत्पादन मात्रा में परिवर्तन को दर्शाता है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक राज्य में औद्योगिक निष्पादन का प्रमुख संकेतक है। जिसका मासिक आधार पर संकलन किया जाता है। यह तीन वृहद समूहों विनिर्माण,खनन एवं विद्युत पर आधारित है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक शृंखला का आधार वर्ष 2011-12 है।

सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्यम (MSME)- 1 जुलाई 2020 से MSME का नया वर्गीकरण किया गया जो निम्न है –

  1. सूक्ष्म उद्यम- ऐसा उद्यम, जिसमे सयंत्र एवं मशीनरी या उपकरणों में निवेश ₹1 करोड़ से अधिक नहीं और कारोबार ₹ 5 करोड़ से अधिक नहीं है।
  2. लघु उद्यम- ऐसा उद्यम, जिसमे सयंत्र एवं मशीनरी या उपकरणों में निवेश ₹10 करोड़ से अधिक नहीं और कारोबार ₹ 50 करोड़ से अधिक नहीं है।
  3. मध्यम उद्यम- ऐसा उद्यम, जिसमे सयंत्र एवं मशीनरी या उपकरणों में निवेश ₹50  करोड़ से अधिक नहीं और कारोबार ₹ 250 करोड़ से अधिक नहीं है।

राज्य में MSME को बढ़ावा देने के लिए किये गए कुछ नीतिगत उपाय-

  1. MSME उद्यम रजिस्ट्रीकरण- MSME पंजीकरण की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए MSME मंत्रालय द्वारा 1 जुलाई 2020 को एक नया पोर्टल “उद्यम पंजीकरण पोर्टल” (https://udyamregistration.gov.in) लांच किया गया।
  2. मख्यमंत्री लघु उद्योग प्रोत्साहन योजना राज्य में विनिर्माण, सेवा एवं व्यापार क्षेत्र में नए उद्यम स्थापित करने तथा वर्तमान उद्योगों के विस्तार और आधुनिकीकरण हेतु वित्तीय संस्थानों के माध्यम से 10 करोड़ तक का ऋण उपलब्ध करवाने हेतु यह योजना 13 दिसंबर 2019 से प्रारम्भ की गयी। इसके तहत उद्यमियों को ₹25 लाख तक के ऋण पर 8%, ₹5 करोड़ तक के ऋण पर 6%, तथा ₹10 करोड़ तक के ऋण पर 5% ब्याज अनुदान दिया जा रहा है। 
  3. राजस्थान सूक्ष्म,लघु व मध्यम उद्यम (फैसिलिटेशन ऑफ़ एस्टेब्लिशमेंट एंड ऑपरेशन)-2019 – राज्य में सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्यमों की व्यवधान रहित स्थापना को प्रोत्साहित करने के लोए 17 जुलाई 2019 को यह अधिनियम लागु किया गया।

राजस्थान से निर्यात-

राजस्थान से निर्यात होने वाली शीर्ष 5 वस्तुओं में इंजिनयरिंग वस्तुऐं, कपडा, धातुएं, हस्तशिल्प वस्तु तथा रासायनिक एवं संबद्ध है। इनका राज्य से होने वाले निर्यात में 50% से अधिक योगदान है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में राज्य से कुल निर्यात ₹71,999.72 करोड़ का हुआ। 

क्र.स.उत्पाद  निर्यात ₹ करोड़ (2021-22)
1अभियांत्रिकी वस्तुएं11966.12 
2कपड़ा9251.39 
3धातुएं8238.57 
4हस्तशिल्प7830.07 
5रासायनिक एवं संबद्ध6995.14 

निर्यात विस्तार के लिए राज्य द्वारा किये जा रहे प्रयास-

• मिशन निर्यातक बनो- राज्य के निर्यात क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए 29 जुलाई 2021 को यह मिशन प्रारम्भ किया गया। इसके तहत कुल 22731 नवीन निर्यातक बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

राज्य निर्यात पुरस्कार योजना- राज्य के उत्कृष्ट निर्यातको को पुरस्कृत करने हेतु यह योजना प्रारम्भ की गयी। इसके तहत 15 श्रेणियों में 32 पुरस्कार एवं 1 लाइफटाइम एक्सपोर्ट रत्न अवार्ड सहित अधिकतम 33 पुरस्कार प्रदान किये जाने का प्रावधान है।

• अंतर्राष्ट्रीय विदेशी व्यापार मेलों में भाग लेने पर सहायता योजना- यह योजना 2012-13 से लागु की गयी,जो नवीन दिशा निर्देशों के साथ मार्च 2025 तक बढ़ा दी गयी है। इसकी क्रियान्वयन एजेंसी REPC (राजस्थान निर्यात संवर्धन परिषद) है। इसके अंतर्गत वदेशों में आयोजित होने वाले अनुमोदित व्यापार मेलों में भाग लेने वाली इकाइयों को उनके द्वारा किये गए भूमि किराये का 50% की दर से अधिकतम  ₹1 लाख तक पुनर्भरण किया जाता है। इन मेलों में राज्य की ओर से प्रतिनिधिमंडल भेजने के लिए REPC को ₹ 10 लाख का प्रावधान किया गया है। 

• एक जिला एक उत्पाद योजना- इसका मुख्य उद्देश्य प्रत्येक जिले से निर्यात क्षमता वाले उत्पादों और सेवाओं की पहचान करना तथा उन्हें बढ़ावा देना और प्रत्येक जिले को एक संभावित निर्यात केंद्र के रूप में बदलना है। राज्य के समस्त 33 जिलों द्वारा अपने जिलों से निर्यता क्षमता वाले उत्पादों को सुनिश्चित कर दिया गया है। राज्य के सभी जिलों में संबंधित जिला कलेक्टरों की अध्यक्षता में जिला स्तरीय निर्यात प्रोत्साहन समितियों (DEPC) का गठन किया गया है।

क्र.स.जिला उत्पाद का नाम
1अजमेरग्रेनाइट
2अलवरऑटोमोबाइल पार्ट्स
3बांसवाड़ासिंथेटिक यार्न
4बारांसोयाबीन
5बाड़मेरईसबगोल
6भरतपुरशहद,खाद्य तेल
7भीलवाड़ारडीमेड गारमेंट्स- डेनिम
8बीकानेरसिरेमिक
9बूँदीचावल
10चित्तौडग़ढ़ग्रेनाइट/मार्बल
11चूरूवुड प्रोडक्ट्स
12दौसाकारपेट एंड स्टोन आर्टिकल
13धौलपुरमिल्क पॉउडर – स्कीम्ड
14डूँगरपुरग्रेनाइट/मार्बल – स्लेब
15श्री गंगानगरग्वार पॉउडर
16हनुमानगढ़ग्वार गम
17जयपुरब्लू-पॉटरी, ज्वैलेरी एंड जेम्स
18जैसलमेरयेलो मार्बल स्लैब एंड टाइल्स
19जालौरमसाले और मोजड़ी जूती
20झालावाड़संतरा एंड सैंड स्टोन
21झुंझुनूस्टोन प्रोडक्ट एंड वुड प्रोडक्ट
22जोधपुरफर्नीचर – हस्तशिल्प उत्पाद
23करौलीसैण्डस्टोन आर्टिकल एंड एंड सिलिका सैंड
24कोटाएम्ब्रॉयडरी फेबरिक – कोटा डोरिया
25नागौरग्रेनाइट/मार्बल – मकराना
26पालीमेहंदी
27राजसमंदटेराकोटा
28सवाई माधोपुरटूरिज्म
29सीकरफर्नीचर – एंटीक
30सिरोहीसाइलियम हस्क
31टोंकसेंडस्टोन
32उदयपुरग्रेनाइट/मार्बल – आइवरी कारविंग
33प्रतापगढ़लहसून तथा थेवा कला

 

राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना-2022 

RIPS-2022   (Source- Economic Survey 2022-23)

राजस्थान की औद्योगिक नीतियां एवं घोषणा की तिथि –

  • प्रथम- 24 जून 1978
  • द्वितीय – अप्रैल 1999
  • तृतीय – 15 जून 1994
  • चतुर्थ – 4 जून 1998
  • पंचम – 1 जुलाई 2019

राजस्थान में औद्योगिक विकास हेतु कार्यरत प्रमुख संस्थान-

RIICO-

राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास व विनियोग निगम लिमिटेड ( Rajasthan State Industrial Development and Investment Corporation Ltd. )

• स्थापना – 1980

• यह राज्य के औद्योगिक विकास को गति देने वाली शीर्ष संस्था है। इस हेतु राज्य में औद्योगिक संरचना विकास व औद्योगिक क्षेत्र विकसित करना, मध्यम व वृहत उद्योगों को ऋण उपलब्ध कराना, उन्हें तकनीकी सलाह देना, मर्चेंट बैंकिंग व इक्विटी सहभागिता द्वारा अद्योगीकरण को प्रोत्साहित करता है।

RFC (राजस्थान वित्त निगम)- 

• स्थापना – जनवरी 1955

• निगम की स्थापन का मुख्य उद्देश्य राज्य में नवीन उद्योगों की स्थापना, विध्यमान उद्योगों का विस्तार करना है। निगम द्वारा औद्योगिक इकाइयों को 20 करोड़ तक के ऋण उपलब्ध कराये जाते है तथा उद्योग स्थापित करने हेतु भूमिक्रय, भवन निर्माण, यंत्र-सयंत्र खरीदने,एवं कार्यशील पूँजी हेतु ऋण उपलब्ध करवाया जाता है। निगम द्वारा उद्यमियों के लिए निम्न ऋण योजनाएं क्रियान्वित की जा रही है-

  • स्विच ओवर ऋण योजना
  • सरल योजना
  • गोल्ड कार्ड योजना
  • प्लेटिनम कार्ड योजना
  • फ्लेक्सी कार्ड योजना

RAJSICO (राजस्थान लघु उद्योग निगम)-

• स्थापना- जून 1961, कम्पनी अधिनियम 1956 के अंतर्गत।

• लघु औद्योगिक व हस्तशिल्प इकाईयों को वित्तीय सहायता व प्रोत्साहन देना, कच्चा माल उपलब्ध कराना व उनकी उत्पादित वस्तुओं को विपणन सुविधा उपलब्ध करवाना।

• निगम द्वारा राज्य के शिल्पकारों की हस्तशिल्प वस्तुओं के विपणन के लिए जयपुर,दिल्ली,उदयपुर व कोलकाता में राजस्थली एम्पोरियम संचालित किया जाता है।


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