Rajasthan Current Affairs

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राजस्थान में वन्यजीव अभ्यारण्य/Wildlife Sanctuary in Rajasthan(Total-26)

राजस्थान में वन्यजीव अभ्यारण्य

(Wildlife Sanctuary in Rajasthan)

वन्यजीव अभ्यारण्य (Wildlife Sanctuaries)इनका गठन किसी प्रजाति अथवा कुछ विशिष्ट  प्रजातियों के संरक्षण के लिए किया जाता है अर्थात ये संरक्षित क्षेत्र विशिष्ट प्रजाति आधारित क्षेत्र हैं।

 

Wildlife Sanctuary in Rajasthan

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राजस्थान में वन्यजीव अभ्यारण्य की संख्या 26 है जो निम्न है –

Wildlife Sanctuary in Rajasthan-List

क्र. स. नाम जिला स्थापना
1.राष्ट्रीय मरु उद्यान जैसलमेर,बाड़मेर 1980 
2.सरिस्का अलवर 1955 
3.सवाई मान सिंह सवाई माधोपुर 1984 
4.दर्रा कोटा,झालावाड़ 1955 
5.सवाई माधोपुर अभ्यारण्य सवाई माधोपुर 1955 
6.कैलादेवी करौली,सवाई माधोपुर 1983 
7. कुम्भलगढ़ उदयपुर,पाली,राजसमंद 1971 
8. फुलवारी की नाल उदयपुर 1983 
9. टॉडगढ़ रावली ब्यावर,पाली,राजसमंद 1983 
10. सीतामाता चितौड़गढ़,प्रतापगढ़,सलूम्बर  1979 
11. रामगढ़ विषधारी बूँदी 1982 
12. जमवारामगढ़ जयपुर ग्रामीण 1982 
13. माउन्ट आबू सिरोही 2008 
14.  राष्ट्रीय चम्बल घड़ियाल कोटा,बूँदी,करौली,धौलपुर,सवाई माधोपुर 1979 
15. भैंसरोड़गढ़ चित्तौड़गढ़ 1983 
16. बंध बारैठा भरतपुर 1985 
17. बस्सी चित्तौड़गढ़ 1988 
18. जवाहर सागर कोटा,बूँदी,चित्तौड़गढ़ 1975 
19. शेरगढ़ बारां 1983 
20. जयसमंद उदयपुर 1955 
21. नाहरगढ़ जयपुर,जयपुर ग्रामीण 1980 
22. रामसागर धौलपुर 1955 
23. वन विहार धौलपुर 1955 
24. केसर बाग़ धौलपुर 1955 
25. ताल छापर चूरू 1962 
26. सज्जनगढ़ उदयपुर 1987 
  • भारत में वन्य जीवो की सुरक्षा के लिए “वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम-1972” दिनांक 9 सितंबर 1972 से लागू है। 
  • “वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम-1972” राजस्थान में 01 सितंबर 1973 से लागू किया गया। इसके तहत राज्य में वन्य जीवों के शिकार पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया गया। 

विवरण-

राष्टीय मरु उद्यान 

स्थापना- 1980

जिले- जैसलमेर,बाड़मेर 

क्षेत्रफल- 3162 वर्ग किमी  

विशेष-

  • यह राज्य का सबसे बड़ा अभ्यारण है। 
  • भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षण प्राप्त राजस्थान का राज्य पक्षी गोडावण इस उद्यान का प्रमुख आकर्षण है। 
  •  जीवाश्म उद्यान (फॉसिल पार्क) इस अभ्यारण में स्थित है जो जीवाश्मों के लिए प्रसिद्ध है। 
  • इस अभ्यारण में सेवण घास व जीरोफाइट वनस्पति अधिक पायी जाती है। 

सरिस्का वन्य जीव अभ्यारण्य

स्थापना- 1955 

जिला- अलवर 

क्षेत्रफल- 491.99 

विशेष-

  • यह अरावली की पहाड़ियों में स्थित है। 
  • राजस्थान की दूसरी बाघ परियोजना (1978) यहां शुरू हुई थी। 
  • यहां RTDC द्वारा एक होटल का संचालन किया जाता है। 
  • भृतहरि मंदिर,पांडुपोल मंदिर,और नीलकंठ महादेव मंदिर इस अभ्यारण में स्तिथ है। 
  • क्रांसका पठार एवं काकनबाड़ी पठार इस अभ्यारण में स्तिथ है। 
  • यह अभ्यारण ‘रीसस बंदर’ के लिए प्रसिद्ध है। 

सवाई मान सिंह 

स्थापना- 1984 

जिला- सवाई माधोपुर 

क्षेत्रफल- 113.07 वर्ग किमी


दर्रा वन्य जीव अभ्यारण्य

स्थापना- 1955 

जिले- कोटा और झालावाड़ 

क्षेत्रफल- 227.64 वर्ग किमी 

विशेष-

  • यह गागरोनी तोते तथा धोकड़ा वनो  के लिए प्रसिद्ध है। 
  •  यहां गागरोन का किला स्थित है। 

सवाईमाधोपुर अभ्यारण्य  

स्थापना – 1955 

जिला- सवाई माधोपुर 

क्षेत्रफल- 131.30 वर्ग किमी 

विशेष – वर्तमान में यह रणथम्भोर राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है।


कैला देवी

स्थापना- 1983 

जिले- करौली,सवाई माधोपुर 

क्षेत्रफल- 676.82 वर्ग किमी 

विशेष-

  • यहां धौंक वन सर्वाधिक पाए जाते है। 

कुम्भलगढ़ वन्य जीव अभ्यारण्य

स्थापना- 1971 

जिले- पाली,राजसमंद,उदयपुर 

क्षेत्रफल-610 वर्ग किमी 

विशेष-

  • यह भेड़ियों के लिए प्रसिद्ध है 
  • रणकपुर के जैन मंदिर इसी क्षेत्र में स्थित है। 

फुलवारी की नाल 

स्थापना- 1983

जिला- उदयपुर(कोटड़ा)

क्षेत्रफल- 511.41 वर्ग किमी 

विशेष-

  • इस अभ्यारण्य से सोम,मानसी और वाकल नदियाँ निकलती है। 
  • सागवान के वृक्ष का प्रथम “Human Anatomy Park” स्थित है।
  • विदेशी और स्थानीय पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है। 

टॉडगढ़ रावली 

स्थापना- 1983 

जिला- ब्यावर,पाली,राजसमंद 

क्षेत्रफल-495.32 वर्ग किमी 

विशेष-

  • यह टॉडगढ़ किला स्थित है जिसका निर्माण कर्नल जेम्स टॉड ने करवाया था। 
  • इस अभ्यारण्य में गोरमघाट ट्रैन सफारी भी है। 

सीता माता अभ्यारण्य 

स्थापना- 1979 

जिले- सलूम्बर,चित्तौडग़ढ़ और प्रतापगढ़ 

क्षेत्रफल- 422.94 वर्ग किमी 

विशेष-

  • चीतल की मातृभूमि। 
  • उड़न गिलहरी व चौसिंगा के लिए प्रसिद्ध। 
  • जाखम नदी,जाखम बाँध इस अभ्यारण्य में स्थित है। 
  • यहां ठंडे व गर्म पानी के दो झरने लव और कुश बहते है। 
  • यहां सर्वाधिक जैव विविधता पायी जाती है। 
  • यहाँ सागवान वन एवं औषधीय पादप सर्वाधिक पाए जाते है। 

रामगढ विषधारी 

स्थापना- 1982 

जिला- बूंदी 

क्षेत्रफल- 303.5 वर्ग किमी 

विशेष-

  • इसे 2022 में राज्य का चौथा टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया एवं देश का 52 वां। 
  • मेज नदी इस अभ्यारण्य से बहती है। 
  • कनक सागर/दुगारी बांध यहां स्थित है। 
  • यहां चन्दन वृक्ष पाए जाते है। 

जमवारामगढ़ 

स्थापना- 1982 

जिला- जयपुर ग्रामीण 

क्षेत्रफल- 300 वर्ग किमी 

विशेष-

  • यहां जमवाय माता का मंदिर स्थित है। 
  • यहां मुख्यतः धोक वन पाए जाते है। 

माउंट आबू वन्य जीव अभ्यारण्य 

स्थापना- 2008 

जिला- सिरोही 

क्षेत्रफल- 326.10 वर्ग किमी 

विशेष- 

  • यहां जंगली मुर्गे पाए जाते है। 
  • गुरुशिखर इसी अभ्यारण्य में स्थित है। 
  • इस अभ्यारण्य में “डिकल्पतेरा आबू ऐंसिस” वनस्पति पायी जाती है।
  • इसे 2009 में इको सेंसिटिव जोन घोषित किया था। 

राष्ट्रीय चम्बल घड़ियाल अभ्यारण्य 

स्थापना- 1979 

स्थापना- राजस्थान (कोटा,बूंदी,सवाईमाधोपुर,धौलपुर,करौली),उत्तरप्रदेश,मध्यप्रदेश 

क्षेत्रफल- 564.03 वर्ग किमी 

विशेष –

  • यह अभ्यारण्य तीन राज्यों Rajasthan, U.P ,& M.P. स्थित है। 
  • यह घड़ियाल एवं गांगीय सूस (डॉलफिन) के लिए प्रसिद्ध है।

भैंसरोड़गढ़ वन्य जीव अभ्यारण्य

स्थापना-   1983 

जिला- चित्तौडग़ढ़

क्षेत्रफल- 201.40 वर्ग किमी 

विशेष-

  • यह अभ्यारण्य घडियालों के लिए प्रसिद्ध है। 
  • यहां चम्बल एवं ब्राह्मणी नदिया बहती है। 

बंध बारैठा अभ्यारण्य 

स्थापना- 1985 

जिला- भरतपुर 

क्षेत्रफल- 199.2 वर्ग किमी 

विशेष-

  • केवलादेव के पक्षी इस अभ्यारण्य में शरण लेते है इसलिए इसे “पक्षियों का घरौंदा” कहा जाता है। 
  • यहां बयां पक्षी सर्वाधिक पाया जाता है। 

बस्सी वन्य जीव अभ्यारण्य

स्थापना- 1988 

जिला- चित्तौडग़ढ़ 

क्षेत्रफल- 138 वर्ग किमी 

विशेष-

  • जलेश्वर महादेव मंदिर इस अभ्यारण्य में स्थित है। 

जवाहर सागर 

स्थापना- 1975 

जिले- कोटा,बूंदी,चित्तौडग़ढ़ 

क्षेत्रफल- 195 वर्ग किमी 

विशेष-

  • यह अभ्यारण्य घड़ियालों के लिए प्रसिद्ध है। 
  • कोटा बांध,गरड़िया महादेव का मंदिर व गेपरनाथ का मंदिर यह के प्रमुख दर्शनीय स्थल है।

शेरगढ़ वन्य जीव अभ्यारण्य

स्थापना- 1983 

जिला- बारां 

क्षेत्रफल- 81.67 वर्ग किमी 

विशेष-

  • यह अभ्यारण्य साँपों की शरण स्थली के रूप में जाना जाता है। 
  • शेरगढ़ दुर्ग एवं परवान नदी इस अभ्यारण्य में स्थित है। 
  • ऐतिहासिक गमधर शिकारओदी यह स्थित है। 

जयसमंद अभ्यारण्य 

स्थापना- 1955 

जिला- उदयपुर 

क्षेत्रफल- 52.34 वर्ग किमी 

विशेष- 

  • इसे जलचरों की बस्ती कहा जाता है।
  • यह बघेरों के लिए प्रसिद्ध है। 

नाहरगढ़ अभ्यराण्य 

स्थापना- 1980 

जिला- जयपुर,जयपुर ग्रामीण 

क्षेत्रफल- 52.40 वर्ग किमी 

विशेष-

  • इसे जून 2016 में राज्य के जैविक उद्यान के रूप में विकसित किया गया है। 
  • इसे एग्जॉटिक पार्क के रूप में स्थापित किया जायेगा। 
  • यह लॉयन सफारी की शुरुआत की गयी है। 
  • यह जयपुर जंतुआलय तथा भालू रेस्क्यू सेंटर स्थित है। 

रामसागर 

स्थापना- 1955 

जिला- धौलपुर 

क्षेत्रफल- 34.40 वर्ग किमी 


वन विहार 

स्थापना- 1955  

जिला- धौलपुर 

क्षेत्रफल- 25.60 वर्ग किमी 


केसरबाग 

स्थापना- 1955 

जिला- धौलपुर 

क्षेत्रफल- 14.76 वर्ग किमी 


तालछापर 

स्थापना- 1962 

जिला- चूरू 

क्षेत्रफल- 7.19 वर्ग किमी 

विशेष-

  • काले हिरण व कुरजां पक्षी (डेमोजाइल क्रेन) के लिए प्रसिद्ध है। 
  • यह मोचिया घास पायी जाती है। 
  • यहा हंस प्रजाति का पक्षी “ग्रेलेंड गूज” पाया जाता है जिसे स्थानीय भाषा में सिलटी सवन कहा जाता है। 

सज्जनगढ़ 

स्थापना- 1987 

जिला- उदयपुर 

क्षेत्रफल- 5.19 वर्ग किमी 

विशेष- 

  • यह बांसदरा पहाड़ी पर स्थित है। 
  • अप्रैल 2015 में इसे राज्य का प्रथम बायोलॉजिकल पार्क(जैविक उद्यान) बनाया गया था। 
  • यह राज्य का दूसरा सबसे छोटा अभ्यारण्य है। (सरिस्का अ  के बाद)
  • यहाँ एक कृत्रिम झील जियान सागर स्थित है जिसे बड़ी झील/टाइगर झील के नाम से भी जाना जाता है।

FAQ- 

Que.- राजस्थान में वन्यजीव अभ्यारण्य कितने है ?

Ans.- 26  

Que.- राजस्थान का सबसे बड़ा वन्य जीव अभ्यराण्य कोनसा है ?

Ans.- राष्ट्रीय मरु उद्यान 

Que.- राजस्थान का सबसे छोटा वन्य जीव अभ्यारण्य कोनसा है ?

Ans.- सज्जनगढ़  

Que.- सीता माता अभ्यारण्य क्यों प्रसिद्ध है ?

Ans.- उड़न गिलहरी के लिए 

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य –

  • राज्य का सबसे बड़ा अभ्यारण्य – राष्ट्रीय मरु उद्यान 
  • राज्य का सबसे छोटा अभ्यारण्य – सज्जनगढ़  

ये भी पढ़े – राजस्थान के राष्ट्रीय उद्यान 

 

 

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