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Rajasthan GI Tag-2023-24

Rajasthan GI Tag 


हाल ही में (अगस्त-2023) में राजस्थान के 5 उत्पादों को GI Tag (भौगोलिक संकेतक) टैग दिया गया है,ये 5 उत्पाद निम्न है-

  1. नाथद्वारा की पिछवाई कला 
  2. जोधपुरी बंधेज 
  3. उदयपुर की कोफ्तगिरी 
  4. बीकानेर की उस्ता कला 
  5. बीकानेर की कशीदाकारी क्राफ्ट 

इसी के साथ अब राजस्थान की कुल 21 उत्पादों/कलाओं को GI Tag मिल चुका है।

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Rajasthan GI Tag List

क्र. स. नाम स्थान 
बगरू प्रिंट जयपुर 
2बीकानेरी भुजिया बीकानेर 
ब्लू पॉटरी जयपुर 
ब्लू पॉटरी (लोगो)जयपुर
कठपुतली राजस्थान 
कठपुतली (लोगो)राजस्थान
कोटा डोरिया कोटा 
कोटा डोरिया (लोगो)कोटा
9मकराना संगमरमर नागौर 
10 मोलेला मिट्टी कला नाथद्वारा (राजसमंद)
11 मोलेला मिट्टी कला (लोगो)नाथद्वारा (राजसमंद
12फुलकारी राजस्थान,पंजाब,हरियाणा 
13सांगानेरी प्रिंट जयपुर 
14थेवा कला प्रतापगढ़ 
15 पोकरण पॉटरी जैसलमेर 
16सोजत मेहँदी पाली (Sept- 2021)
17 पिछवाई कला नाथद्वारा (राजसमंद) Aug-2023 
18जोधपुरी बंधेज जोधपुर (Aug-2023)
19कोफ्तगिरी उदयपुर (Aug-2023)
20 उस्ता कला बीकानेर (Aug-2023)
21 कशीदाकारी क्राफ्ट बीकानेर (Aug-2023)
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भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication-GI Tag ) क्या है ?-

  • GI Tag का उपयोग ऐसे उत्पादों के लिए एक संकेत के रूप में किया जाता है,जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है और इनकी विशेषता एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण होती है। 
  • भारत में भौगोलिक संकेतों की सुरक्षा के लिए संसद द्वारा “वस्तुओं का भौगोलिक संकेत(पंजीकरण एवं संरक्षण) अधिनियम-1999” पारित किया गया जो 13 सितंबर 2003 से लागू हुआ। 
  • GI Tag केंद्र सरकार के उद्योग संवर्धन और आंतरिक विभाग (DIPP) के अधीन कार्यरत GI रजिस्ट्री द्वारा दिया जाता है जिसका मुख्यालय चेन्नई (तमिलनाडु) में स्थित  है।
  • भारत में जीआई टैग प्राप्त करने वाला पहला उत्पाद दार्जिलिंग की चाय है जिसे 2004 में यह टैग दिया गया। 
  •  जीआई टैग का पंजीकरण 10 वर्ष के लिए मान्य होता है।

Rajasthan Gi Tag- विवरण 

बगरू प्रिंट-

  • बगरू राजस्थान राज्य का एक छोटा सा कस्बा है जो जयपुर जिले में स्थित है। इस कस्बे के नाम पर ही इसका नाम पड़ा है। इसमें मटिया रंग की पृष्टभूमि पर लाल-काले रंग से छपाई की जाती है। 
  • यहा “छीपा” समुदाय द्वारा छपाई का कार्य किया जाता है।
  • यह प्राकृितक रंगो द्वारा की जाने वाली हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग (लकड़ी के ठप्पे) का एक रूप है। 

 ब्लू पॉटरी-

  • चीनी मिट्टी के बर्तनो पर नीले रंग की चित्रकारी को ब्लू पॉटरी कहा जाता है। इसका यह नाम  पॉटरी (मिट्टी के बर्तन) पर नील रंग के प्रयोग के कारण पड़ा। 
  • महाराजा “मान सिंह प्रथम” द्वारा लाहौर से जयपुर लाया गया था। 
  • महाराजा “राम सिंह” के शासन काल(1835-80) में इसका सर्वाधिक विकास हुआ। 

  •  ब्लू पॉटरी के लिए जयपुर देश-विदेश में प्रसिद्ध है। 
  • श्री कृपाल सिंह शेखावत ब्लू पॉटरी के प्रसिद्ध कलाकार हुए जिन्हे इस कला के विकास के लिए 1976 में “पद्म श्री” से सम्मानित किया गया। 
  • वर्तमान समय मे गोपाल सैन ब्लू पॉटरी के जाने माने हस्तशिल्पी है।

कठपुतली

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Kathputli
  • कठपुतली की जन्मस्थली राजस्थान है। ये लकड़ी से बनी होती है जिन पर कलात्मक चित्रांकन किया रहता है। 
  • इनको नचाने वाले नट या भाट जाति के लोग होते है जिनका मुख्य स्थल मारवाड़ है। 
  • श्री देवी लाल सामर का इस कला के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा जिसके लिए इन्हे 1968 में “पद्म श्री” पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

थेवा कला-थेवा कला

  • कांच पर सोने का सूक्ष्म चित्रांकन थेवा कला है।प्रतापगढ़ की मीनाकारी को ही थेवा कला के नाम से जाना जाता है। 
  • इसमें हरे रंग के कांच का प्रयोग किया जाता है जो बेल्जियम से आयात किया जाता है। 
  • यह कला प्रतापगढ़ के सोनी परिवार तक ही सिमित है। 
  • थेवा कला के प्रसिद्ध कलाकार महेश राज सोनी को 2014 में “पद्म श्री” पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 
  • वर्तमान में गिरीश कुमार इस कला के ख्याति प्राप्त कलाकार है। 

मोलेला मिट्टी कला-मोलेला टेराकोटा

  • मिट्टी से मूर्ति बनाने की कला को टेराकोटा के नाम से जाना जाता है। 
  • राजस्थान में मोलेला गांव(राजसमंद) इस कला के लिए प्रसिद्ध है। 
  • मोलेला के कुम्हार सिरेमिक जैसी मिट्टी में गधे की लीद मिलाकर मूर्तियां बनाते हैं व उन्हें उच्च ताप पर पकाते हैं बाद में इन्हे चटकीले रंगो से रंगा जाता है। 

सांगानेरी प्रिंट-सांगानेरी प्रिंट

  • सांगानेरी छपाई लट्ठा या मलमल पर की जाती है विभिन्न तैयार कपड़ों पर डिजाइनों की छपाई की जाती है जिनमें धनिया,बूंदी आदि के छापे प्रमुख हैं। 
  • इस प्रिंट में प्रायः काला और लाल दो ही रंग ज्यादा काम आते हैं। 
  • छापा (ठप्पा) और रंग सांगानेरी प्रिंट की प्रमुख विशेषता है। 
  • इस प्रिंट को विदेशों में लोकप्रिय बनाने का श्री मुन्नालाल गोयल को है। 

सोजत मेहँदी –

  • मेहंदी की उत्पत्ति राजस्थान के पाली जिले के सोजत तहसील में उगाई जाने वाली मेहंदी के पत्तों से होती है। 

पिछवाई कला-पिछवाई कला

  • मंदिरो में देवी देवताओं की मूर्तियों की पृष्ठभूमि में सज्जा हेतु बड़े आकार के पर्दों पर किया गया चित्रण पिछवाईयाँ कहलाती हैं। 
  • यह मुख्यतः अवतारों के प्रमुख स्वरूप लिए होते हैं। 
  • नाथद्वारा की  पिछवाईयाँ विशेष रूप से प्रसिद्ध है। 
  • पिछवाई चित्रण नाथद्वारा के जांगिड़ व गौड़ ब्राह्मण जाति के परिवार करते हैं। 

उस्ता कला –उस्ता कला

  • उस्ता कला बीकानेर की प्रसिद्ध है। 
  • इसे मुनव्वती कला भी कहा जाता है। 
  • इस कला में ऊँट की खाल को मुलायम बनाकर उस पर विभिन्न कृतियों का चित्रांकन किया जाता है। 
  • बीकानेर के उस्ता परिवार के लोगो ने यह कार्य शुरू किया। 
  • हिसामुद्दीन उस्ता इस कला के प्रसिद्ध कलाकार रहे है जिन्हे 1986 में “पद्म श्री” पुरुस्कार से सम्मानित किया गया।

कोफ्तगिरी

  • फौलादी वस्तुओं पर सोने के पतले तारो से जड़ाई का कार्य किया जाता है जिसे कोफ्तगिरी खा जाता है। 
  • यह उदयपुर एवं जयपुर में अधिक प्रचलित है।  

बीकानेरी भुजिया-


FAQ-

Que- राजस्थान में कितने GI Tag है ?

Ans- राजस्थान में अब तक कुल 21 उत्पादों/कलाओं को Gi Tag मिल चुका है।

Que- राजस्थान का पहला Gi Tag कोनसा है ?

Ans-  ब्लू पॉटरी 

Que- Gi Tag की समय सीमा ?

Ans- 10 वर्ष

Que- Gi टैग की शुरुआत कब हुई ?

Ans- 2004 से 

Que- Gi Tag क्या है ?

Ans- GI Tag का उपयोग ऐसे उत्पादों के लिए एक संकेत के रूप में किया जाता है,जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है और इनकी विशेषता एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण होती है।

Que- Gi Tag कौन प्रदान करता है ?

Ans- GI Tag केंद्र सरकार के उद्योग संवर्धन और आंतरिक विभाग (DIPP) के अधीन कार्यरत GI रजिस्ट्री द्वारा दिया जाता है जिसका मुख्यालय चेन्नई (तमिलनाडु) में स्थित  है।

ये भी पढ़े-   राजस्थान में वन्यजीव अभ्यारण्य

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1 thought on “Rajasthan GI Tag-2023-24”

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