Rajasthan Current Affairs

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Chief Minister Of Rajasthan-राजस्थान के मुख्यमंत्री (Article-164)

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राजस्थान के मुख्यमंत्री

राजस्थान के मुख्यमंत्री-

भारत में शासन की संसदीय  व्यवस्था को अपनाया गया है , इसके अंतर्गत केंद्र एवं राज्य दोनों स्तरों पर दोहरी कार्यपालिका होती है- वास्तविक एवं औपचारिक कार्यपालिका। केंद्र स्तर पर राष्ट्रपति औपचारिक कार्यपालिका तथा प्रधानमंत्री व मंत्री परिषद वास्तविक कार्यपालिका होती है। 

इसी प्रकार राज्य स्तर पर राज्यपाल औपचारिक कार्यपालिका एवं मुख्यमंत्री व मंत्री परिषद वास्तविक कार्यपालिका की भूमिका निभाती है। 

मुख्यमंत्री का उल्लेख संविधान के भाग – 6 , अनुच्छेद-164 में मिलता है।

संवैधानिक प्रावधान

 अनुच्छेद -164(1): मुख्यमंत्री की नियुक्ति , राज्यपाल द्वारा की जाती है। 

  • संविधान में मुख्यमंत्री की नियुक्ति के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं है , केवल अनुच्छेद 164 में कहा गया है की मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेगा। 
  • सामान्यतः राज्यपाल बहुमत प्राप्त दल के नेता को ही मुख्यमंत्री नियुक्त करता है। लेकिन यदि किसी दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त न हो तो राज्यपाल , मुख्यमंत्री की नियुक्ति में अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल कर सकता है। ऐसी स्थिति में राज्यपाल सबसे बड़े दल के नेता को मुख्यमंत्री नियुक्त करता है और उसे 1 महीने के भीतर सदन में विश्वास मत प्राप्त करने के लिए कहता है। 
  • राज्यपाल अपने स्वविवेक से मुख्यमंत्री की नियुक्ति ऐसे समय भी कर सकता है जब कार्यकाल के दौरान किसी मुख्यमंत्री की मृत्यु हो जाये और कोई उत्तराधीकारी तय न हो। 
  • ऐसा व्यक्ति जो राज्य विधानमंडल का सदस्य न हो , उसको भी छः माह के लिए मुख्यमंत्री नियुक्त किया जा सकता है। इस समय के दौरान उसे राज्य विधानमंडल के लिए निर्वाचित होना पड़ेगा , अन्यथा उसका मुख्यमंत्री पद समाप्त हो जायेगा।
  • मुख्यमंत्री का विधानमंडल के दोनों सदनों में से किसी एक का सदस्य होना अनिवार्य है।
  • केंद्र शासित प्रदेश , जहाँ विधानसभा है वहां मुख्यमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है।  

अनुच्छेद -164 (1) क : मंत्रिपरिषद का आकार

  • इस अनुच्छेद को 91 वें संविधान संशोधन 2003 द्वारा जोड़ा गया , व प्रावधान किया गया की मंत्रिपरिषद में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की अधिकतम संख्या कुल विधानसभा सीटों की 15 % एवं न्यूनतम मुख्यमंत्री सहित 12 मंत्री होंगे। 
  • इस प्रकार राजस्थान राज्य की मंत्री परिषद में अधिकतम मंत्री 30 (मुख्यमंत्री सहित ) एवं न्यूनतम 12 (मुख्यमंत्री सहित ) मंत्री होंगे। 
अनुच्छेद -164 (1) ख
  • इस अनुच्छेद को 91 वें संविधान संशोधन 2003 द्वारा जोड़ा गया , व प्रावधान किया गया की राज्य विधानमंडल का कोई सदस्य यदि दलबदल के आधार पर सदस्यता के निरर्ह करार दिया जाता है तो ऐसा सदस्य मंत्री पद के लिए भी निरर्ह होगा।

अनुच्छेद – 164 (2) :  राज्य की मंत्री परिषद सामूहिक रूप से विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होती है। 

अनुच्छेद – 164 (3) : मुख्यमंत्री व मंत्रियों को शपथ राज्यपाल दिलाता है।  

  • कार्यग्रहण से पूर्व मुख्यमंत्री , राज्यपाल के समक्ष पद व गोपनीयता की शपथ लेता है –
    1. मैं भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और सत्यनिष्ठा रखूंगा। 
    2. भारत की एकता और अखंडता बनाये रखूंगा। 
    3. मैं अपने दायित्वों का का श्रद्धा पूर्वक और शुद्ध अंतःकरण से निर्वहन करूंगा। 
    4. मैं भय या पक्षपात , अनुराग या द्वेष के बिना सभी प्रकार के लोगो के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूंगा। 
  • मुख्यमंत्री एवं मंत्रीयों की शपथ का प्रारूप अनुसूची 3 में मिलता है। 
अनुच्छेद – 164 (4)
  • कोई मंत्री जो निरन्तर 6 माह की अवधि तक राज्य के विधानमंडल का सदस्य नहीं है , उस अवधि की समाप्ति पर मंत्री / मुख्यमंत्री नहीं रहेगा। 

अनुच्छेद – 164 (5) :

  • मुख्यमंत्री के वेतन – भत्तों का निर्धारण, राज्य विधानमंडल द्वारा किया जाता है। 

मुख्यमंत्री के कार्य एवं शक्तियां

मंत्रिपरिषद के संबंध में -

मुख्यमंत्री मंत्रिपरिषद के मुखिया के रूप में निम्न कार्य करता है – 

  • राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री की सलाह से ही मंत्रियों की नियुक्ति की जाती है। 
  • वह मंत्रियों को विभागों का वितरण एवं उनमें फेरबदल कर सकता है। 
  • मतभेद होने पर वह किसी भी मंत्री से त्याग पत्र की मांग कर सकता है या राज्यपाल को उसे बर्खास्त करने का परामर्श दे सकता है। 
  • वह मंत्री परिषद की बैठकों की अध्यक्षता करता है एवं बैठक का स्थान एवं समय निर्धारित करता है। 
  •  अपने कार्य से त्यागपत्र देकर वह पूरी मंत्री परिषद को समाप्त कर सकता है। क्योंकि मुख्यमंत्री, मंत्रिपरिषद का मुखिया होता है इसलिए उसके इस्तीफे या मौत के कारण मंत्री परिषद अपने आप विघटित हो जाती है। 

राज्यपाल के संबंध में (अनुच्छेद-167) -

राज्यपाल के संबंध में मुख्यमंत्री निम्न कर्तव्य है –

  • राज्य के प्रशासन संबंधी एवं विधान विषयक प्रस्थापनाओं संबंधी मंत्री परिषद के सभी निर्णयों के बारे में राज्यपाल को सूचना देना एवं उपरोक्त विषयों के बारे में राज्यपाल द्वारा जानकारी मांगे जाने पर वह जानकारी देना।  
  • किसी विषय को जिस पर किसी मंत्री ने विनिश्चय कर दिया है एवं मंत्री परिषद ने विचार नहीं किया है , राज्यपाल द्वारा अपेक्षा किये जाने पर मंत्री परिषद के समक्ष विचार के लिए रखे। 

राज्य विधान मंडल के संबंध में -

  • वह राज्यपाल को विधानसभा का सत्र  बुलाने एवं उसे स्थगित करने के बारे में सलाह देता है।
  • मुख्यमंत्री किसी भी समय राज्यपाल को विधानसभा विघटित करने की सिफारिश कर सकता है।
  • वह सभा पटल पर सरकारी नीतियों की घोषणा करता है। 

अन्य शक्तियां एवं कार्य -

  • वह राज्य आयोजना बोर्ड का अध्यक्ष होता है। 
  • वह अंतर्राज्यीय परिषद (अनुच्छेद – 263) एवं निति आयोग की गवर्निंग काउंसिल का सदस्य होता है। इन दोनों परिषदों का अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है। 
  • मुख्यमंत्री राज्य सरकार का मुख्य प्रवक्ता होता है। 
  • वह नियोजन विभाग का अध्यक्ष होता है। 

मुख्यमंत्री - राज्यपाल संबंध -

संविधान में राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के बीच संबंधो से संबंधित निम्न उपबंध है – 

  1. अनुच्छेद : 163 – राज्यपाल को सहायता एवं सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी, जिसका प्रमुख मुख्यमंत्री होगा। 
  2. अनुच्छेद : 164
    1. मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह से ही करेगा।
    2. मंत्री राज्यपाल के प्रसादपर्यन्त अपना पद धारण करेंगे। 
    3. मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होगी। 
  3. अनुच्छेद : 167 – 
    1. राज्य के प्रशासन संबंधी एवं विधान विषयक प्रस्थापनाओं संबंधी मंत्री परिषद के सभी निर्णयों के बारे में राज्यपाल को सूचना देना एवं उपरोक्त विषयों के बारे में राज्यपाल द्वारा जानकारी मांगे जाने पर वह जानकारी देना।  
    2. किसी विषय को जिस पर किसी मंत्री ने विनिश्चय कर दिया है एवं मंत्री परिषद ने विचार नहीं किया है , राज्यपाल द्वारा अपेक्षा किये जाने पर मंत्री परिषद के समक्ष विचार के लिए रखे।

राजस्थान के मुख्यमंत्री एवं उनका कार्यकाल -

क्र. स. मुख्यमंत्री कार्यकाल 
हीरालाल शास्त्री (INC – मनोनीत)07.04.1951 —  05.01.1951
 2 सी.एस. वैंकटाचारी (INC – मनोनीत)06.01.1951 — 25.04.1951
 3 जयनारायण व्यास (INC – मनोनीत)26.04.1951 — 03.03.1952
टीकाराम पालीवाल (INC)03.03.1952 — 31.10.1952
जयनारायण व्यास (INC)01.11.1952 — 12.11.1954
मोहनलाल सुखाड़िया (INC)13.11.1954 — 11.04.1957
मोहनलाल सुखाड़िया (INC)11.04.1957 — 11.03.1962
मोहनलाल सुखाड़िया (INC)12.03.1962 — 13.03.1967
मोहनलाल सुखाड़िया (INC)26.04.1967 — 09.07.1971
10 बरकतुल्ला खां (INC)09.07.1971 — 11.10.1973
11 हरिदेव जोशी (INC)11.10.1973 — 29.04.1977
12 भैरोंसिंह शेखावत (जनता पार्टी)22.06.1977 — 16.02.1980
13 जगन्नाथ पहाड़िया (INC)06.06.1980 — 13.07.1981
14 शिवचरण माथुर (INC)14.07.1981 — 23.02.1985
15 हीरालाल देवपुरा  (INC)23.02.1985 — 10.03.1985
16 हरिदेव जोशी (INC)10.03.1985 — 20.01.1988
17 शिवचरण माथुर (INC)20.01.1988 — 04.12.1989
18 हरिदेव जोशी (INC)04.12.1989 — 04.03.1990
19 भैरोंसिंह शेखावत (BJP)04.03.1990 — 15.12.1992
20 भैरोंसिंह शेखावत (BJP)04.12.1993 — 01.12.1998
21अशोक गहलोत (INC)01.12.1998 — 08.12.2003
22 वसुंधरा राजे (BJP)08.12.2003 — 13.12.2008
23 अशोक गहलोत (INC)13.12.2008 — 13.12.2013
24 वसुंधरा राजे (BJP)13.12.2013 — 17.12.2018
25 अशोक गहलोत (INC)17.12.2018 — 15.12.2023
26 भजन लाल शर्मा (BJP)15.12.2023 से लगातार। ……..

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