राजस्थान में 16वीं विधानसभा (16th Rajasthan Assembly) के लिए चुनाव 25 नवम्बर 2023 को सम्पन्न हुए। श्री गंगानगर की करणपुर सीट पर चुनाव स्थगित होने के कारण इस दिन 199 विधानसभा सीटो पर मतदान हुआ। इस बार विधानसभा चुनावो में सूचना तकनीक के रूप में सी-विजिल एप का उपयोग किया गया जिस पर चुनाव आचार सहिंता से जुडी किसी भी प्रकार की शिकायत दर्ज होने पर 100 मिनट से भी कम समय में उस पर कार्यवाही की गयी।
राजस्थान में कुल 200 विधानसभा क्षेत्र है जिनमे 34 अनुसूचित जाति के लिए, 25 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है तथा 141 सामान्य सीटें है।
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16वीं विधानसभा चुनाव परिणाम-
- मतदान प्रतिशत– इस बार मतदान प्रतिशत में 0.73% की बढ़ोतरी दर्ज हुई तथा कुल मतदान प्रतिशत 75.45% दर्ज हुआ। पुरुषो ने जहां 73.53% मतदान किया, वही महिलाओं ने 74.72% मतदान किया।
- सबसे युवा सदस्य– श्री रविंद्र सिंह भाटी/25 वर्ष /शिव(बाड़मेर) विधानसभा क्षेत्र
- सबसे कम आयु की महिला विधायक– सुश्री नौक्षम चौधरी/33 वर्ष/ कामां विधानसभा क्षेत्र
- नोटा- 0.96% ने नोटा चुना। झाड़ोल में सबसे ज्यादा नोटा
- महिला सदस्य- 20 महिला विधानसभा सदस्य निर्वाचित, 9-भाजपा से , 9-कांग्रेस से व 2-निर्दलीय
- सर्वाधिक मतदान- कुशलगढ़ विधानसभा क्षेत्र- 88.13%
- न्यूनतम मतदान- आहोर विधानसभा क्षेत्र- 61.24%
16 वीं विधानसभा के परिणामो में भाजपा 115 सीटे जीतकर सबसे बड़ी पार्टी रही।
क्र.स. | पार्टी का नाम | सीट |
1 | भारतीय जनता पार्टी | 115 |
2 | इंडियन नेशनल कांग्रेस | 70 |
3 | भारत आदिवासी पार्टी | 3 |
4 | बहुजन समाज पार्टी | 2 |
5 | राष्ट्रीय लोक दल | 1 |
6 | राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी | 1 |
7 | निर्दलीय | 8 |
Total | 200 |
विभिन्न पार्टियों को मतदान प्रतिशत –
संविधान के अनुच्छेद 168 में राज्य के विधानमंडल(Rajasthan Assembly) का प्रावधान किया गया है। इसके तीन अंग होते है –
- राज्यपाल
- विधानसभा
- विधानपरिषद
राजस्थान में वर्तमान में एक सदनीय विधानमंडल (विधानसभा) है। विधानसभा के प्रतिनिधियों को प्रत्यक्ष मतदान से वयस्क मताधिकार द्वारा चुना जाता है। इनकी अधिकतम संख्या 500 और न्यूनतम 60 निर्धारित की गयी है।
राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Assembly) का इतिहास-
• जयपुर महाराजा सवाई मान सिंह द्वारा सितम्बर 1945 में जयपुर राज्य में द्विसदनीय विधान मंडल का गठन किया गया था, जिसका एक सदन धारा सभा व दूसरा सदन प्रतिनिधि सभा था।
• राज्य के 160 सदस्यीय प्रथम विधानसभा के लिए आम चुनाव जनवरी 1952 में सम्पन्न हुए व इसका गठन 29 फरवरी 1952 को हुआ। इसकी प्रथम बैठक 29 मार्च 1952 को जयपुर के सवाई मानसिंह टाउन में हुई , इसी टाउन की बाद में विधानसभा का रूप दिया गया।
सीटों की संख्या-
- राजस्थान प्रथम विधानसभा के समय सीटों की संख्या 160 थी। इस समय अजमेर-मेरवाड़ा का राज्य में विलय न होने के कारण वहां 30 सदस्यीय पृथक विधानसभा थी जिसे धारा सभा कहते थे।
- 01 नवम्बर 1956 को अजमेर मेरवाड़ा का राज्य का विलय होने से यह संख्या 190 हो गयी।
- अगली 2 विधानसभाओं 1957-62 तथा 1962-67 तक यह संख्या 176 थी।
- इसके बाद 1967-72 एवं 1972-77 में यह 184 रही।
- 1977 से ये 200 हुई जो अब तक है। (6th विधानसभा से)
क्र.स. वर्ष सीटों की संख्या 1 1952 160 2 1957 176 3 1967 184 4 1977 200
राजस्थान के विधानसभा चुनाव-
प्रथम विधानसभा चुनाव से पूर्व-
• राजस्थान 30 मार्च 1949 से 1 नवम्बर 1956 तक ‘B’ श्रेणी का राज्य था। प्रथम आम चुनाव से पूर्व ‘B’ श्रेणी के राज्यों के लिए विधानसभा नहीं थी।
• 30 नवम्बर 1949 को राज प्रमुख सवाई मान सिंह ने हीरा लाल शास्त्री को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलवाई। 26 जनवरी 1950 से पहले मुख्यमंत्री पद का नाम प्रधानमंत्री था।
प्रथम विधानसभा (1952-1957)-
• जनवरी 1952 में प्रथम विधानसभा की 160 सीटों के लिए चुनाव हुए। इसमें कांग्रेस को 82 सिटे प्राप्त हुई तथा राम राज्य परिषद को कांग्रेस के बाद सर्वाधिक 24 सीटे प्राप्त हुई।
• इस विधानसभा में टीकाराम पालीवाल राजस्थान के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री बने। झुंझुनू के नरोत्तम लाल जोशी विधानसभा अध्यक्ष बने तथा लाल सिंह शक्तावत उपाध्यक्ष बने। कुछ समय बाद किशनगढ़ (अजमेर) के विधायक चांदमल मेहता ने इस्तीफा दिया और वहां से जय नारायण व्यास ने चुनाव लड़ा तथा विधायक बने। तब टीका राम पालीवाल ने इस्तीफा दिया और 1 नवम्बर 1952 को जय नारायण व्यास मुख्यमंत्री बने।
• इस प्रकार प्रथम विधानसभा में तीन मुख्यमंत्री बने- टीकाराम पालीवाल, जय नारायण व्यास, मोहन लाल सुखाड़िया।
दूसरी विधानसभा (1957-1962)-
• इस समय विधानसभा सीटों की संख्या 176 थी जिसमे कांग्रेस 119 तथा राम राज्य परिषद 17 सीटों पर विजयी रही। कांग्रेस के मोहन लाल सुखाड़िया मुख्यमंत्री बने।
तीसरी विधानसभा (1962-1967)-
• इस चुनाव में किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। कांग्रेस ने निर्दलीय समर्थन से सरकार बनाई तथा सुखाड़िया मुख्यमंत्री बने।
चौथी विधानसभा (1967-1972)-
• इस समय विधानसभा सीटों की संख्या 184 थी। चुनाव में किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। इस विधानसभा के दौरान ही राज्य में पहली बार राष्ट्रपति शासन लगा। इस समय राज्यपाल डॉ. सम्पूर्णानन्द थे। मुख्यमंत्री मोहन लाल सुखाड़िया तथा बरकतुल्लाह खान रहे।
पांचवी विधानसभा (1972-1977)-
• विधानसभा सीट- 184 थी। चुनाव के समय बरकतुल्लाह खान मुख्यमंत्री थे। इन चुनावो में कांग्रेस ने 145 सीटों पर विजय प्राप्त की तथा बरकतुल्लाह खान दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। अक्टूबर 1973 में इनकी मृत्यु हो जाने पर हरिदेव जोशी राज्य के मुख्यमंत्री बने।
• हरिदेव जोशी 1977 तक मुख्यमंत्री रहे। केंद्र में मोरारजी देसाई की सरकार बनी जिन्होंने राज्य की विधानसभा को भंग कर राष्ट्रपति शासन लगाया। इस विधानसभा के समय राष्ट्रीय आपातकाल और राष्ट्रपति शासन दोनों लागु हुए। 1975 -1977 तक आंतरिक अशांति के आधार पर राष्ट्रीय आपात लगा उस समय राज्यपाल सरदार जोगेंद्र सिंह तथा मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी थे।
• 1967 के बाद 1977 दूसरी बार राष्ट्रपति शासन लगा तो हरिदेव जोशी को अपदस्थ किया गया इस समय न्यायाधीश वेदपाल त्यागी कार्यवाहक राज्यपाल थे।
• इस विधानसभा की अवधि सबसे अधिक थी।
छठी विधानसभा (1977-1980)-
• इस समय सीटों की संख्या 184 से बढ़ाकर कर दी गयी थी। इन चुनावो में जनता पार्टी ने 150 तथा कांग्रेस ने 41 सीट जीती। श्री भैरोसिंह शेखावत मुख्यमंत्री बने जो राज्य के प्रथम गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने। इस विधानसभा की अवधि रही।
• 1980 में जब राष्ट्रपति शासन लगा तब भैरोसिंह शेखावत मुख्यमंत्री एवं रघुकुल तिलक राज्यपाल थे।
सातवीं विधानसभा (1980-1983)-
• विधानसभा चुनावो में कांग्रेस 133 स्थानों पर जीती श्री जगन्नाथ पहाड़िया मुख़्यमंत्री बने जो अनुसूचित जाती से थे। पहाड़िया जब मुख्यमंत्री बने तब वे विधायक न होकर लोकसभा सदस्य थे। बाद में वे बैर (भरतपुर) से विधायक बने। 1981 में इन्होने त्यागपत्र दिया एवं शिवचरण माथुर मुख्यमंत्री बने।
आठवीं विधानसभा (1985-1990)-
• कांग्रेस ने 113 सीटे जीती व हरिदेव जोशी दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। इस से पहले ये 1973 में बरकतुल्लाह खान के निधन के बाद 1973 से 1977 तक रहे थे।
नवीं विधानसभा (1990-1992)-
• इन विधानसभा चुनावो में किसी भी पार्टी कोई स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। भाजपा ने जनता दल के साथ मिलकर सरकार बनाई तथा भैरोसिंह शेखावत दूसरी बार मुख्यमंत्री बने।
• दिसंबर 1992 में बाबरी विध्वंश के कारण राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने राज्य सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाया। यह राजस्थान में चौथा राष्ट्रपति शासन था। इस समय एम. चेन्नारेड्डी राज्यपाल थे।
• छठवीं विधानसभा के बाद दूसरी ऐसी विधानसभा थी जिसका कार्यकाल पूर्ण नहीं हुआ।
दसवीं विधानसभा (1993-1998)-
• 1993 में राष्ट्रपति शासन हटने के बाद राजस्थान में दूसरी बार मध्यावधि विधानसभा चुनाव सम्पन्न हुए। किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। निर्दलीयों के सहयोग से भाजपा सरकार बनी तथा भैरोसिंह शेखावत तीसरी बार मुख्यमंत्री बने।
राजस्थान में विधानसभा : तुलनात्मक विवरण-
विधानसभा | अवधि | मुख्यमंत्री | विधानसभा अध्यक्ष |
1st | 1952-1957 |
| नरोत्तम लाल जोशी |
2nd | 1957-1962 | मोहन लाल सुखाड़िया | रामनिवास मिर्धा |
3rd | 1962-1967 | मोहन लाल सुखाड़िया | रामनिवास मिर्धा |
4th | 1967-1972 |
| निरंजन नाथ आचार्य |
5th | 1972-1977 |
| रामकिशोर व्यास |
6th | 1977-1980 | भैरोसिंह शेखावत |
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7th | 1980-1985 |
| पूनमचंद्र विश्नोई |
8th | 1985-1990 |
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9th | 1990-1993 | भैरोसिंह शेखावत | हरिशंकर भाभड़ा |
10th | 1993-1998 | भैरोसिंह शेखावत |
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11th | 1998-2003 | अशोक गहलोत |
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12th | 2003-2008 | वसुंधरा राजे | सुमित्रा सिंह |
13th | 2008-2013 | अशोक गहलोत | दीपेंद्र सिंह शेखावत |
14th | 2013-2018 | वसुंधरा राजे | कैलाश मेधवाल |
15th | 2018-2023 | अशोक गहलोत | सी.पी. जोशी |
16th | 2023 से | भजन लाल शर्मा | वासुदेव देवनानी |
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