राजस्थान राज्य वित्त आयोग/Rajasthan State Finance Commission
संवैधानिक प्रावधान-
- राज्य वित्त आयोग एक सवैंधानिक संस्था है। 73 वें एवं 74 वें संविधान संशोधन 1992 के तहत स्थानीय निकायों की वित्तीय समीक्षा हेतु प्रति 5 वर्ष के अंतराल पर राज्यपाल द्वारा वित्त आयोग का गठन गठन किया जाता है।
- संविधान में पंचायती राज संस्थाओं हेतु भाग-9,अनुच्छेद-243 i(झ) एवं नगरीय संस्थाओ हेतु भाग-9क, अनुच्छेद-243 Y(म) में राज्य वित्त आयोग का प्रावधान किया गया है।
- राज्य के प्रथम वित्त आयोग का गठन 24 अप्रैल 1994 को किया गया, जिसने 01 अप्रैल 1995 से कार्य प्रारम्भ किया।
कार्यकाल- 05 वर्ष (इसमें अधिकतम व न्यूनतम आयु का प्रावधान नहीं है। )
संरचना – वित्त आयोग एक बहु-सदस्यीय निकाय है जिसमे 1 अध्यक्ष एवं अधिकतम 4 सदस्य हो सकते है।
नियुक्ति- राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति मंत्री परिषद की सलाह से राज्यपाल करता है। राज्य वित्त आयोग में अध्यक्ष के अतिरिक्त चार सदस्य हो सकते है।
योग्यता- दो सदस्य न्यायिक पृष्ठ्भूमि से, एक सदस्य लेखा मामलो का विशेषज्ञ तथा एक सदस्य आर्थिक मामलो का विशेषज्ञ होना चाहिए।अध्यक्ष पद हेतु किसी विशेष योग्यता का उल्लेख नहीं है।
त्याग पत्र- राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य अपना त्यागपत्र राज्यपाल को देते है।
हटाने की प्रक्रिया- राज्य सरकार (मंत्री परिषद) की अनुशंसा पर राज्यपाल द्वारा।
प्रतिवेदन- आयोग द्वारा वार्षिक प्रतिवेदन राज्यपाल को दिया जाता है जिसे राज्यपाल राज्य विधान मंडल के समक्ष रखवाते है।
कार्य –
- राज्य सरकार को प्राप्त राजस्व आय में से पंचायती राज एवं नगरीय निकायों को धन वितरण।
- स्थानीय निकायों द्वारा कौन-कौन से कर, चुंगी , टोल , शुल्क का संग्रहण करना चाहिए, इसकी सिफारिश करना।
- राज्य की संचित निधि से कितना अनुदान स्थानीय निकायों को दिया जाये, इसकी सिफारिश करना।
- यह स्थानीय निकायों की वित्तीय स्थिति की समय – समय पर समीक्षा करना।
- केंद्र एवं राज्यों के मध्य वित्तीय संबंधो में मध्यस्थता करना।
- राज्यपाल द्वारा सौंपे गए अन्य कृत्यों का सम्पादन करना।
राजस्थान राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष – List
वित्त आयोग | कार्यकाल | अध्यक्ष | सिफारिश |
पहला | 01/04/1995 से 31/03/2000 तक | श्री कृष्ण कुमार गोयल | राज्य के शुद्ध कर राजस्व का 2.18% स्थानीय निकायों को वितरण |
दूसरा | 01/04/2000 से 31/03/2005 तक | श्री हीरालाल देवपुरा | राज्य के शुद्ध कर राजस्व का 2.25% स्थानीय निकायों को वितरण |
तीसरा | 01/04/2005 से 31/03/2010 तक | श्री माणिक चंद सुराणा | राज्य के शुद्ध कर राजस्व का 3.50% स्थानीय निकायों को वितरण |
चौथा | 01/04/2010 से 31/03/2015 तक | श्री बी. डी. कल्ला | राज्य के शुद्ध कर राजस्व का 5% स्थानीय निकायों को वितरण |
पाँचवा | 01/04/2015 से 31/03/2020 तक | डॉ. ज्योति किरण | राज्य के शुद्ध कर राजस्व का 7.182% स्थानीय निकायों को वितरण |
छठवाँ | 01 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2025 | श्री प्रद्युम्न सिंह |
छठा वित्त आयोग –
- अध्यक्ष – श्री प्रद्युम्न सिंह
- सदस्य – (1) लक्ष्मण सिंह (2) अशोक लाहोटी
- कार्यकाल – 01 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2025
इस आयोग द्वारा अंतिम रिपोर्ट सितम्बर 2023 में राज्यपाल की दी, जिसकी सिफारिशें निम्न है –
- राज्य स्वयं के शुद्ध कर राजस्व का 6.75 % पंचायती राज संस्थाओं एवं शहरी निकायो के मध्य वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर क्रमशः 75.10 % एवं 24.90 % के अनुपात में वितरित किया जाये।
- राशि को जिलेवार वेटेज के आधार पर राज्य की जिला परिषदों, पंचायत समितियों एवं ग्राम पंचायतों को क्रमशः 5:20:75 के अनुपात में वितरित किया जाये।
- अनुदान की 55 % राशि का उपयोग मूलभूत एवं विकास कार्यो हेतु , 40 % राशि का उपयोग राष्ट्रीय और राज्य प्राथमिकता योजनाओ को लागु करने हेतु एवं 5 % राशि विभिन्न कार्यो एवं कार्यक्रमों के क्रियान्वयन हेतु उपयोग।
स्मरणीय तथ्य –
- राज्य वित्त आयोग की एक मात्र महिला अध्यक्ष – डॉ ज्योति किरण
- हीरालाल देवीपुरा राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष के अलावा राज्य के मुख्यमंत्री (न्यूनतम कार्यकाल वाले मुख्यमंत्री – मात्र 16 दिन ) एवं विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके है।